परमेश्वर का अनुग्रह और न्याय 

GRACE JUSTICE

परमेश्वर का अनुग्रह और न्याय 
(The Grace and Justice of God)

अनुग्रह (Grace)

परमेश्वर का अनुग्रह उसकी उदारता और प्रेम का प्रकटीकरण है। यह वह दिव्य कृपा है जिसके माध्यम से परमेश्वर हमें वह देता है जिसके हम पात्र नहीं होते। इफिसियों 2:8-9 में लिखा है, “क्योंकि अनुग्रह से तुम विश्वास के द्वारा उद्धार पाए हो, और यह तुम्हारी ओर से नहीं है: यह परमेश्वर का दान है, कर्मों के कारण नहीं, ताकि कोई घमण्ड न करे।” यह अनुग्रह की महानता को दर्शाता है कि कैसे परमेश्वर हमें बिना हमारे कर्मों के आधार पर उद्धार प्रदान करता है। यह उद्धार पूर्णत: उसकी कृपा और प्रेम पर आधारित है। अनुग्रह का महत्व हमें समझाता है कि हमारा उद्धार और हमारी क्षमा परमेश्वर की दया पर निर्भर है, न कि हमारे कार्यों पर। तीतुस 3:5 में लिखा है, “उसने हमारा उद्धार किया, न कि हमारे धार्मिक कार्यों के कारण, बल्कि अपनी दया के अनुसार।” परमेश्वर का अनुग्रह हमें पाप के बंधन से मुक्त करता है और हमें नई जिंदगी में प्रवेश करने का अवसर देता है। यह अनुग्रह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन को परमेश्वर के लिए समर्पित करें और उसकी महिमा करें।

परमेश्वर का अनुग्रह हमें हमारे पापों से क्षमा और पुनरुद्धार का अनुभव कराता है। रोमियों 3:23-24 में लिखा है, “सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से वंचित हैं, और वे उसके अनुग्रह से बिना मूल्य उसके अनुग्रह में धर्मी ठहराए जाते हैं।” इसका अर्थ यह है कि हम सब पापी हैं, लेकिन परमेश्वर के अनुग्रह के कारण हमें क्षमा मिलती है और हमें धर्मी ठहराया जाता है। अनुग्रह हमें नई पहचान और उद्देश्य प्रदान करता है। 2 कुरिन्थियों 5:17 में लिखा है, “इसलिये यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है। पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई हैं।” यह अनुग्रह का प्रभाव है कि हमें नया जीवन और नई शुरुआत मिलती है।

न्याय (Justice)

परमेश्वर न्यायी है और वह धर्म का पालन करता है। उसका न्याय सिद्ध और निष्पक्ष है, जो हर एक को उसके कर्मों के अनुसार प्रतिफल देता है। रोमियों 2:6-8 में लिखा है, “वह हर एक को उसके कर्मों के अनुसार बदला देगा: जो लोग धीरज के साथ भले काम करते हुए महिमा, आदर और अमरता की खोज में लगे रहते हैं, उन्हें अनन्त जीवन मिलेगा; परन्तु जो लोग स्वार्थी और सत्य के विरुद्ध होकर अधर्म का पालन करते हैं, उन्हें क्रोध और प्रकोप मिलेगा।” यह परमेश्वर के न्याय के सिद्धांत को स्पष्ट करता है कि वह सभी को उनके कर्मों के अनुसार न्याय करता है।

परमेश्वर का न्याय उसकी पवित्रता और धार्मिकता का प्रतिबिंब है। यशायाह 30:18 में लिखा है, “यहोवा न्याय का परमेश्वर है; धन्य हैं वे सब जो उसकी प्रतीक्षा करते हैं।” परमेश्वर का न्याय हमें यह विश्वास दिलाता है कि वह सदा सही और उचित निर्णय लेगा। परमेश्वर का न्याय हमें सिखाता है कि हमारे कर्मों के परिणाम होते हैं। गलातियों 6:7-8 में लिखा है, “प्रभु के साथ ठट्ठा न करो। मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। जो अपने शरीर के लिए बोता है, वह शरीर से विनाश की फसल काटेगा; परन्तु जो आत्मा के लिए बोता है, वह आत्मा से अनन्त जीवन की फसल काटेगा।” यह हमें हमारे जीवन में सही और धर्मी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। परमेश्वर का न्याय हमारे लिए उसकी धार्मिकता को स्थापित करता है। मीका 6:8 में लिखा है, “हे मनुष्य, वह तुझ से क्या चाहता है? केवल यह कि तू न्याय करे, करुणा को प्रिय जाने, और अपने परमेश्वर के साथ दीनता से चले।” यह हमें यह सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में न्याय, करुणा और दीनता को महत्व देना चाहिए। इस प्रकार, परमेश्वर का अनुग्रह और न्याय दोनों ही हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनुग्रह हमें परमेश्वर के प्रेम और क्षमा का अनुभव कराता है, जबकि न्याय हमें उसकी धार्मिकता और सत्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। इन दोनों के बीच संतुलन हमारे विश्वास और हमारे जीवन को समृद्ध और पूर्ण बनाता है।

परमेश्वर की विश्वासयोग्यता (Faithfulness of God)

परमेश्वर की विश्वासयोग्यता उसके चरित्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। वह सदा अपने वचनों और वादों को पूरा करता है। 1 कुरिन्थियों 1:9 में लिखा है, “परमेश्वर विश्वासयोग्य है, जिसने तुम्हें अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह की सहभागिता में बुलाया है।” परमेश्वर का वफादारी हमारे लिए उसकी विश्वासयोग्यता का प्रमाण है। परमेश्वर की विश्वासयोग्यता हमें जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों में स्थिरता और साहस प्रदान करती है। भजन संहिता 36:5 में लिखा है, “हे यहोवा, तेरी करूणा आकाश तक और तेरी सच्चाई मेघों तक पहुंची है।” यह हमें यकीन दिलाता है कि परमेश्वर हमेशा हमारे साथ है और हमें कभी नहीं छोड़ेगा। परमेश्वर की विश्वासयोग्यता हमें उसे पूरी तरह से भरोसा करने के लिए प्रेरित करती है। व्यवस्थाविवरण 7:9 में लिखा है, “तू जान ले कि तेरा परमेश्वर यहोवा वही परमेश्वर है, जो विश्वासयोग्य परमेश्वर है, और जो उससे प्रेम रखते और उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनके साथ वह हजार पीढ़ी तक अपनी वाचा निभाता और उनकी करूणा करता है।” यह हमें उसकी स्थायी और अनंत विश्वासयोग्यता का अहसास कराता है।

परमेश्वर की प्रेमपूर्ण देखभाल (God’s Loving Care)

परमेश्वर अपनी सृष्टि से असीमित प्रेम करता है और उसकी देखभाल करता है। 1 पतरस 5:7 में लिखा है, “और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसे तुम्हारा ध्यान है।” परमेश्वर की देखभाल और प्रेम हमें सुरक्षा और शांति का अनुभव कराते हैं। परमेश्वर की प्रेमपूर्ण देखभाल हमें आश्वासन देती है कि वह हमारे हर छोटे से छोटे आवश्यकताओं का ख्याल रखता है। मत्ती 6:26 में यीशु ने कहा, “आकाश के पक्षियों को देखो; वे न बोते हैं, न काटते हैं, न कोठियों में बटोरते हैं, फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्यवान नहीं हो?” यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमारे जीवन की हर परिस्थिति में हमारी देखभाल करता है। परमेश्वर की प्रेमपूर्ण देखभाल हमें उसके प्रेम और सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करती है। रोमियों 8:38-39 में लिखा है, “क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊँचाई, न गहराई, न कोई और सृष्टि हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह में है, अलग कर सकेगी।” यह हमें परमेश्वर के अनन्त और अविचल प्रेम का विश्वास दिलाता है।

परमेश्वर का धैर्य (Patience of God)

परमेश्वर का धैर्य उसके महान प्रेम और दया का एक और प्रमाण है। वह हमारे पापों और कमजोरियों के बावजूद हमें समय और अवसर देता है कि हम पश्चाताप करें और उसके पास लौट आएं। 2 पतरस 3:9 में लिखा है, “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा में देर नहीं करता, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं, पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई नाश हो, पर यह कि सबको मन फिराव का अवसर मिले।” यह परमेश्वर के धैर्य और उसकी इच्छा को दर्शाता है कि वह हर एक को उद्धार देना चाहता है। परमेश्वर का धैर्य हमें उसके प्रेम और दया को और गहराई से समझने में मदद करता है। रोमियों 2:4 में लिखा है, “क्या तू उसकी कृपा, सहनशीलता और धैर्य को तुच्छ समझता है, और यह नहीं जानता कि परमेश्वर की कृपा तुझे पश्चाताप की ओर ले आती है?” यह हमें यह सिखाता है कि परमेश्वर का धैर्य हमें पश्चाताप और परिवर्तन की ओर ले जाता है। परमेश्वर का धैर्य हमें उसके साथ संबंध बनाने में सहायता करता है। भजन संहिता 86:15 में लिखा है, “परन्तु तू, हे प्रभु, दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर है, क्रोध में धीमा और अति करुणामय और सत्य है।” यह हमें प्रेरित करता है कि हम परमेश्वर के धैर्य और दया के प्रति कृतज्ञ रहें और उसकी महानता का गुणगान करें। इन सभी गुणों के माध्यम से, परमेश्वर का अनुग्रह, न्याय, विश्वासयोग्यता, प्रेमपूर्ण देखभाल, और धैर्य हमारे जीवन में उसकी उपस्थिति और उसकी इच्छा को प्रकट करते हैं। यह हमारे विश्वास को मजबूत करते हैं और हमें उसकी महिमा और उद्देश्य को समझने में सहायता करते हैं।

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